kab-gunahon-se-kinara-urdu-lyrics
कब गुनाहों से कनारा मैं करूँगा या रब / Kab Gunahon Se Kanaara Main Karunga Ya Rab कब गुनाहों से कनारा मैं करूँगा या रब ! नेक कब ऐ मेरे अल्लाह ! बनूँगा या रब ! कब गुनाहों के मरज़ से मैं शिफ़ा पाउँगा कब मैं बीमार, मदीने का बनूँगा या रब ! गर तेरे प्यारे का जल्वा न रहा पेशे नज़र सख़्तियां नज़्अ की क्यूं कर मैं सहूंगा या रब ! नज़्अ के वक़्त मुझे जल्व-ए-महबूब दिखा तेरा क्या जाएगा मैं शाद मरूंगा या रब ! क़ब्र में गर न मुहम्मद के नज़ारे होंगे हश्र तक कैसे मैं फिर तन्हा रहूँगा या रब ! डंक मच्छर का सहा जाता नहीं, कैसे मैं फिर क़ब्र में बिच्छू के डंक आह सहूंगा या रब ! धुप अँधेरे का भी वह्शत का बसेरा होगा क़ब्र में कैसे अकेला मैं रहूँगा या रब ! गर कफ़न फाड़ के सांपों ने जमाया क़ब्ज़ा हाए बरबादी ! कहां जा के छुपूँगा या रब ! क़ब्र महबूब के जल्वों से बसा दे मालिक ये करम कर दे तो मैं शाद रहूँगा या रब ! गर तू नाराज़ हुवा मेरी हलाकत होगी हाए ! मैं नारे जहन्नम में जलूँगा या रब ! अफ़्व कर और सदा के लिये राज़ी हो जा गर करम कर दे तो जन्नत में रहूँगा या रब ! इज़्न से तेरे सरे हश्र कहें काश ! हुज़ूर साथ अत्तार को जन्नत में ...